High Court 2024 सास ससुर की संपत्ति में बहू के हक को लेकर हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला.
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High Court 2024 : सास ससुर की संपत्ति में बहू के हक को लेकर हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला.
High Court 2024 : भारतीय कानून में महिलाओं को संपत्ति से जुड़े कई अधिकार दिए गए हैं। जब एक महिला अपने माता-पिता का घर छोड़ती है तो उसे अपने आप ही कुछ अधिकार मिल जाते हैं। लेकिन संपत्ति से जुड़े कुछ अधिकार पति या सास की अनुमति से ही मिलते हैं। अब सवाल यह है कि क्या ससुराल की संपत्ति पर कई अधिकारों का दावा किया जा सकता है या नहीं। इस संबंध में हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है.
हाईकोर्ट का अहम फैसला देखने के लिए
सास-ससुर और बहू में विवाद हर दूसरे तीसरे घर की कहानी है। कई मामलों में बहू गलत होती है तो कई में सास की भी गलती हो जाती है। अब सवाल है कि क्या बहू सास के साथ नहीं रहनी चाहिए और प्रॉपर्टी में हिस्सा लेना चाहिए या नहीं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
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High Court Decision
कई मामलों में देखा गया है कि सास अपनी ही बहू से इतनी नफरत करती है कि वह उसे किसी भी कीमत पर साथ नहीं रखना चाहती या उसके साथ रहना नहीं चाहती। इसको लेकर हाई कोर्ट ने अहम फैसला लिया है.
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मुआवजे में बहू से लेकर हाईकोर्ट तक को बड़ी राहत मिली है। अब बुजुर्गों को बेटे-बहू के बीच रोज-रोज होने वाली झगड़ों को झेलने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि बहू-बेटे के बीच आए दिन होने वाले झगड़े में बुजुर्ग माता-पिता को यह अधिकार है कि वह बहू को घर से बाहर निकाल दें।
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सास के पास है ये अधिकार
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत किसी भी बहू को संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं है। उसे मुस्लिमों के बुजुर्ग लोगों द्वारा संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है। सास पिस्सू मुस्लिम जीवन जीने के लिए नामित हैं। इससे उन पर कोई रोक नहीं लग सकेगी। बुजुर्ग को अधिकार है कि वे ऐसी बहू को अपनी संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं।
सास-ससुर की अनुमति जरूरी
न्यायमूर्ति ने कहा कि इस मामले में सास-ससुर लगभग 74 और 69 साल के हैं। उन्हें शांतिपूर्ण जीवन जीने और बेटे-बहू के बीच के वैवाहिक कलह न झेलने के हक है। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि ‘मेरा मानना है कि चूंकि दोनों पक्षों के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं,
ऐसे में जीवन के अंतिम पड़ाव पर बुजुर्ग सास-ससुर के लिए बहू के साथ रहना सही नहीं होगा। इसी कारण याचिकाकर्ता को घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 19(1)(AF) के तहत कोई वैकल्पिक आवास मुहैया कराया जाए। जस्टिस बहू को अलग रहने का निर्देश जारी किया ।
पति की मृत्यु पर पत्नी का संपत्ति में अधिकार
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो संपत्ति के संबंध में वसीयत बिना वसीयत के लिखी जाती है।
उनकी संपत्ति पर अधिकार को लेकर कानून स्पष्ट है.
इस स्थिति में व्यक्ति की संपत्ति उसकी मां और विधवा पत्नी की होती है।
हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति किसी और को अधिकार न दे।
पति की संपत्ति पर पत्नी का कितना अधिकार है?
ज्यादातर लोगों का मानना है कि पत्नी का अपने पति की संपत्ति पर पूरा अधिकार
होता है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। इस संपत्ति पर पत्नी के अलावा परिवार
के अन्य सदस्यों का भी अधिकार होता है. अगर पति किसी संपत्ति से कमाई करता है
तो उस पर पत्नी के साथ-साथ मां और बच्चों का भी अधिकार होता है।
अगर किसी व्यक्ति ने वसीयत की है
तो उसकी संपत्ति उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में दर्ज की जाती है।
वह अपनी पत्नी को भी नामांकित कर सकती हैं.
वहीं अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु बिना वसीयत के हो जाती है
तो उसकी संपत्ति में पत्नी के अलावा मां, बच्चों आदि को भी बराबरी का अधिकार होता है।